गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

कभी हरी दूब पर पड़ी ओस की बूँद देखा है

कभी हरी दूब पर, पड़ी ओस की बूंदों देखा है ,
नही देखा ,तों छोटे छोटे बच्चो को देखो,
देखा है कमल या गुलाब के फूल की मुस्कराहट,
नही देखा तों छोटे छोटे बच्चो को देखो,
वर्षा की पहली बूँद को सीप में मोती बनते देखा है,
नही देखा तों अपनी नन्ही सी बेटी को देखो,
जानते हो क्या होता है सच्चा और निश्छल प्यार,
बच्चो की तरफ प्यार से देखो जान जाओगे,
कभी देखा है जीवन से खुद बिना थके लड़ने की कला,
उठने की कोशिश करते ,गिरते और उठते बच्चो को देखो,
कभी सोचा घर बनाने की कल्पना कहा से आई होगी,
माँ की सदी से घर बनाते और सजाते अपनी बेटी को देखो,
कभी प्यार के मोल और गहराई को जाना है,
अपनी शादी के बाद बिदा होती बेटी की आँखों में देखो,
सबसे बहुमूल्य चीज कैसे सम्हाली जाती है कभी जाना,
आंधी में किसी माँ को बच्चो को सीने में चिपकाते हुए देखो,
एक का दर्द दूसरे को कैसे और ज्यादा दर्द देता है कभी देखा है,
जब तुम बीमार हो और कराहते हो  तों बच्चो की आँख में देखो,
कभी किसी इन्सान को आधा कटा हुआ और बटा हुआ देखा है,
किसी ऐसे को देखो जिसका सचमुच का अपना आधा चला गया हो,
किसी ने कभी स्वर्ग से लौट कर बताया की कैसा होता है ,मत पूछो,
प्यार करने वाली पत्नी और बेटे बेटी वाला घर देखो, दिख जायेगा,
भगवान की बनाई सबसे अच्छी दवाई क्या है  जानते हो,
बच्चो को उठाओ सीने से चिपकाओ और पत्नी को देख कर मुस्कराओ,
जीवन का अर्थ अगर नही जानते हो और इसे व्यर्थ मानते हो,
तों बस इन सबको प्यार करो सचमुच में प्यार करो ,जीवन पा जाओगे,
कही कुछ मत खोजो सारी दुनिया की दौलत तुम्हारे पास है,
जान गए तों जोर से हंसो और उसे बाहर फेंक दो जो मन उदास है,
थक गए हो तों बेटी को देखो ,रुक गए हो तों बेटे को देखो,
दोनों तुम्हारी दो आँखे है ,बेटी धड़कन है तों बेटा हाथ है,
तुम तभी पूरे हो जब दोनों तुम्हारे घर में है, दोनों साथ है,
इसलिए एक कसम खाओ की बेटियों को नही मिटाने देंगे,
दोनों को दो हाथ की तरह समझेंगे दोनों में फर्क नही आने देंगे |

2 टिप्‍पणियां :

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  2. बेहतरीन.. सभी तरह की भावनाओं को इस लेख के ज़रिये दर्शाया है आपने..

    आभार

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