शनिवार, 21 मई 2011

मै एक किनारा हूँ और मेरी खुशियाँ दूसरा ,

आप कभी नदी के किनारे किनारे चले है ,
प्रारंभ में भी दो किनारे और अंत तक भी,
जब तक नदी समां  नहीं जाती समुद्र में  ,
तब तक किनारे मिलने को बेताब ,बेसब्र  ,
पता नहीं समुद्र में विलीन हो जाने पर भी, 
किनारे मिल पाते है या दो तरफ ही जाते है  ,
मै एक किनारा हूँ और मेरी खुशियाँ दूसरा ,
किनारों जैसे कभी नहीं मिल पाएंगे ये भी  |






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