शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

क्या फर्क है माँ और माँ में

आपने देखा है
उस चिड़िया को
परेशान चीखते हुए
और मंडराते हुए
घोसले के आस पास
किसी से अपने बच्चो की
सुरक्षा की चिंता में
जिसका मुकाबला नहीं
सकती है वो
कभी देखा है किसी माँ को
टपकती छत से हर तरह
जतन कर भीगने से बचाती
अपने छोटे बच्चों को
मैंने दोनों को गौर से देखा है
क्या फर्क है माँ और माँ में
चाहे ओ इन्सान हो या चिड़िया
माँ खुद पर ले लेती है
हर मुसीबत
और बचा लेती है बच्चो को
अपनी सामर्थ्य भर
पर क्या बच्चो को याद रह जाता है
ये सब
नहीं न
क्योकि वे तब अबोध बच्चे थे ।

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