होली नहीं खेलता मै
बचपन बीतने के बाद से
बचपन कब बीता
बचपन बीतने के बाद से
बचपन कब बीता
और मै बड़ा हो गया
पता ही नहीं चला
क्योकि
पता ही नहीं चला
क्योकि
अपने जिनके कारण हम
बचपन पकडे रखना चाहते है
वे हाथ छोड़ झटक देते है
वे हाथ छोड़ झटक देते है
बचपन को
साया देने वाले अधिकार को
खैर
साया देने वाले अधिकार को
खैर
होली नहीं खेली बहुत साल से
तभी कोई आया
तभी कोई आया
हवा का झोंका बनकर
खाली जीवन में
खाली जीवन में
और अपने साथ लायी
एक मुट्ठी बदली और
बंजर जमीन पर नम हवा
एक मुट्ठी बदली और
बंजर जमीन पर नम हवा
तथा
मुट्ठी भर बदली से निकली
मुट्ठी भर बदली से निकली
फुहार ने
उगा दिए कुछ पौधे
होली मै तब भी नहीं खेलता था
परन्तु
उगा दिए कुछ पौधे
होली मै तब भी नहीं खेलता था
परन्तु
रंगों से सराबोर हो जाता था
अच्छा लगता था
किसी का ठठा कर हँसना
खुद रंगा होकर सबको रंग देना
ठहाकों से तथा अपने रंगों से
मेरी बंजर जमीन पर उगे पौधे
जब एक दिन पहले
अच्छा लगता था
किसी का ठठा कर हँसना
खुद रंगा होकर सबको रंग देना
ठहाकों से तथा अपने रंगों से
मेरी बंजर जमीन पर उगे पौधे
जब एक दिन पहले
तैयारी करते थे
कपड़ों की रंगों की
कपड़ों की रंगों की
तथा पिचकारी की
अगले सुबह ही उठकर
अगले सुबह ही उठकर
शरीर पर मलते थे
तेल या क्रीम ,रंगों से बचने को
फिर रंग फेंकते थे ,बचते थे
तेल या क्रीम ,रंगों से बचने को
फिर रंग फेंकते थे ,बचते थे
और
खुद रंग भी जाते थे सराबोर
फिर शीशे में खुद को पहचानना
खुद रंग भी जाते थे सराबोर
फिर शीशे में खुद को पहचानना
और
दूसरों को देख कर
दूसरों को देख कर
ठठा कर हँसना
फिर प्यार से गोद में बैठ कर
फिर प्यार से गोद में बैठ कर
अपने रंगों से
सराबोर कर देना मुझे भी
कितना सुखद था ,
कितना सुखद था ,
कितनी ऊर्जा थी
कितना जीवन था ,
कितना जीवन था ,
जीवन का अर्थ था
फिर
फिर
अचानक
बुलावा आ गया किसी का
जहा से आई थी बदली
मै ही भूल गया था
जहा से आई थी बदली
मै ही भूल गया था
बादल आते है बरसते है ,
धरती को नमी देते है
कुछ बारिश रुक जाती है
जीवन बन कर
कुछ बारिश रुक जाती है
जीवन बन कर
जीवन के कुए में ,
तालाब में या झील में
और
तालाब में या झील में
और
कुछ को
सूरज सोख लेता है वापस
और
और
पहुंचा देता है वही हर बूँद को
जहा से उसे दुबारा
जहा से उसे दुबारा
तय करना होता है सफ़र
इस क्रिया को भूल जाना
इस क्रिया को भूल जाना
और
न पकडे जाने वाली चीज को
पकड़ कर रखने की कोशिश ही
न पकडे जाने वाली चीज को
पकड़ कर रखने की कोशिश ही
शायद संबंध है,संवेग है
और
अनबूझ पहेली भी
मै फिर अकेला निहार रहा हूँ
लोगो को होली खेलता
मै फिर अकेला निहार रहा हूँ
लोगो को होली खेलता
होली की बात करता
मैंने भी सन्देश भेज दिया
मैंने भी सन्देश भेज दिया
और हो गयी होली
धीरे धीरे मेरे पौधे भी
धीरे धीरे मेरे पौधे भी
अपनी नयी जमीन पा गये
जहा वे विस्तार पा सके
और
जहा वे विस्तार पा सके
और
फिर मेरा भी
सफ़र शुरू हो जायेगा
अपनी बदली को ढूढने और
उसमे समाहित हो जाने को ।
अपनी बदली को ढूढने और
उसमे समाहित हो जाने को ।
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