मंगलवार, 18 जून 2013

किसी को ऐसे अपने न मिले ।

कभी कभी ऐसा
कैसे हो जाता है
कोई जो बहुत ही
प्रिय रहा हो आपको
उसी से घृणा हो जाये
आपको अति घृणा
उसको देखते ही
खौलने लगे आप
और ऐसा लगे की
आपका अस्तित्व
ही मिट जायेगा
उसी के कारण
कितना बदकिस्मत
होता है वो
जो अपने बहुत
अपने के द्वारा
ऐसी हालत में
पहुंचा दिया गया हो
क्या आप किसी
ऐसे को जानते है
क्या हाल है उसका
वो जी रहा है या
फिर मरा हुआ सा है
ऐसे अपनों से तो
दुश्मन अच्छे होते है
जो चौकन्ना रखते है
आपको और चेतन भी
ऐसी जिंदगी का क्या
आप घुट घुट कर
न जी रहे और न मर रहे ।
बस कुछ हो जाने का
इन्तजार कर रहे ।
किसी को ऐसे अपने न मिले ।


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