बुधवार, 16 जुलाई 2014

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है

अन्दर इतना तूफ़ान सा क्यो है
मन इतना परेशांन सा क्यो  है
न कोई बात है,न कोई भाव ही
दर्द इतना मेहरबान सा क्यो है |

दर्द मन में,दिमाग में,लहू में भी
दर्द तन में,दिल औ वजूद में भी
दर्द साँस ,धड़कन औ रूह में भी
ये दर्द हुआ आसमान सा क्यूं है |







शनिवार, 12 जुलाई 2014

लो अब मैं चला तुम खुश तो हो

लो अब मैं चला तुम खुश तो हो
आज सूरज ढला तुम खुश तो हो
देखो बंद हुयी मेरी जुबान आज
बोलने से परेशांन थे खुश तो हो|

सच दो लफ्ज और झूठ भारी है
झूठ हुआ आसमान खुश तो हो
झूठ और लुट तुम्हारे मेहमान है
और जनता बेजुबान खुश तो हो|

ये आदमी नागिन बन गया यारो
नाग है परेशांन तुम खुश क्यों हो
मैं चला तुम्हारी दुनिया छोड़ कर
न जहर न एहसान तुम खुश तो हो