कोई मज़ार पर चादर चढ़ा वहां राजधर्म निभा रहा
और कोई मंदिर जाकर वहां भी राजनीती चला रहा
पर जिसके कारण है आज किसी लायक बने हैं सब
उस दरिद्रनारायण के पास आज कोई नहीं जा रहा।
और कोई मंदिर जाकर वहां भी राजनीती चला रहा
पर जिसके कारण है आज किसी लायक बने हैं सब
उस दरिद्रनारायण के पास आज कोई नहीं जा रहा।
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