सोमवार, 18 मई 2015

मेरी आवाज में छिपी हुयी सिसकियाँ

लोगो को  मेरा मुस्कराता हुआ
चेहरा तो दीखता है
मेरी आत्मविश्वास भरी
और खनकती हुई
आवाज सुनाई पड़ती है
पर नहीं दिखलाई पड़ते है
आँखों की कोरो में फंसे हुए
खून के आंसू
और नहीं सुनाई पड़ती है
मेरी आवाज में
छिपी हुयी सिसकियाँ
सच है
जब तक आँखों से
अंगारे नहीं बरसते
और आवाज से
इन्कलाब  उठान नहीं लेता
कोई नहीं देख पाता है
और न सुन ही पाता है
किसी का दर्द और आंसू ।
इन्तजार कीजिये
बहरे कानो में सुनाई पड़ेगी गूँज
और उनकी आँखे भी देखने लगेगी
जो छुपा हुआ है अब तक वो भी ।

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