गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

कल बना कर रहूँगा अपने जैसा |

हो जाती है कुछ गलतियाँ
भूल जाओ उन्हें आगे बढ़ो
कुरेदोगे तो गलती ही होगी
ख़ुश रहना है तो आगे बढ़ो

कभी बहुत बीमार हो गए थे
कभी लगी थी बहुत सी चोटें
क्लास में फेल हो गए कभी
कभी छूट गयी थी ट्रेन कही

तो क्या सब याद रखते हो सब
घुटते रहते हो उन सब के लिए
क्या वापस ला सकते हो वो सब
पलट सकते हो घड़ी की सूइयां 

नहीं न, तो आगे बढ़ो जीत लो
हर वो किला अपने इरादों का
पहन लो अपने धुले हुए कपडे
और कस कर जूते निकल पडो

बना लो जिंदगी को यूँ खुशनुमा
भूल कर की कहा और कब गिरे
और सोच कर की कल तो मेरा है
कल बना कर रहूँगा अपने जैसा | 

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