गुरुवार, 15 जून 2017

टीवी की क्या मजबूरी है ?

टीवी की क्या मजबूरी है ?
सुबह बाबा और रात भी बाबा
और
तरह तरह की दवाई वाले जरूरी है
ऐसा नहीं हो सकता कि
सुबह भी
मुहब्बत के गीत सुनाओ
और तरह तरह से हँसाओ
और
रात भी ऐसे ही गीत सुनाओ
और हंसा कर सुलाओ
फिर दिन भर खूब लाशे
या लाशे बनाने की
फैक्टरियां दिखाओ ।

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