रविवार, 10 दिसंबर 2017

लौट के आओ

लौट के आओ
तुम कहा हो
खुश तो हो ना
तुम जहा हो
याद आते हो
दिन रात में
याद आते हो
हर बात में
आज ही तो
जीवन बने थे
उसके लिए
कितना सजे थे
सजा देकर जाने को
फिर
लौट नहीं आने को
आ सकते हो
तो आओ ना
इतना अब
तरसाओ ना
तुम भी अकेले
हम भी अकेले
कैसे चलेगा
जीवन इतना
कैसे कटेगा
तो आओ ना
तुम कहा हो
कुछ तो बताओ ना
मैं आँखे बंद करता हूँ
मुझे वैसे ही सुलाओ ना

कोई टिप्पणी नहीं :

एक टिप्पणी भेजें